Wednesday 24 June 2015

गरमागरम थपेड़े लू के

गरमागरम थपेड़े लू के
...आनन्द विश्वास
गरमागरम  थपेड़े  लू  के, पारा  सौ  के  पार हुआ है,
इतनी गरमी  कभी न देखी, ऐसा पहली बार हुआ है।
नींबू - पानी, ठंडा - बंडा,
ठंडी बोतल डरी - डरी है।
चारों  ओर  बबंडर  उठते,
आँधी चलती धूल भरी है।
नहीं भाड़ में  सीरा भैया, भट्ठी-सा  संसार  हुआ  है,
गरमागरम  थपेड़े  लू  के, पारा  सौ के  पार हुआ है।
आते - जाते   आतंकी   से,
सब अपना मुँह ढ़ाँप रहे हैं।
बिजली आती-जाती रहती,
एसी,  कूलर  काँप  रहे  हैं।
शिमला नैनीताल चलें अब,मन में यही विचार हुआ है,
गरमागरम  थपेड़े  लू  के, पारा  सौ के  पार हुआ है।
अभी सुना  भू-कम्प  हुआ है,
और सुनामी  सागर तल पर।
दूर-दूर  तक  दिखे  न राहत,
आफत  की  आहट है  भू पर।
बन्द द्वार कर घर में बैठो, जीना ही  दुश्वार  हुआ है,
गरमागरम  थपेड़े  लू  के, पारा  सौ के  पार हुआ है।
बादल  फटा,  बहे  घर  द्वारे,
नगर-नगर  में   पानी-पानी।
सृष्टि सन्तुलन अस्त  व्यस्त है,
ये सब  कुछ  अपनी नादानी।
मानव-मन पागल है कितना,समझाना बेकार हुआ है,
गरमागरम  थपेड़े  लू  के, पारा  सौ के  पार हुआ  है।
...आनन्द विश्वास

चित्र गूगल से साभार

Monday 22 June 2015

आओ, चन्दा मामा आओ

आओ  चन्दा  मामा  आओ,
एक बार तो घर पर आओ।
नानी वाली कथा  कहानी,
हमें  बताओ, हमें  सुनाओ।

बापू  का  चरखा  तो  देखा,
नानी का चरखा दिखलाओ।
कैसे   सूत  काततीं   नानी,
कते सूत का, झबला लाओ।

क्या खाते हो, क्या पीते हो,
हम बच्चों  को जरा  बताओ।
कभी किसी दिन साथ हमारे,
पीज़ा   खाओ,  बर्गर  खाओ।

अपने साथी  तारा-गण को,
एक बार तो, यहाँ  घुमाओ।
केवल रात तुम्हें क्यों भाती,
इसका कारण हमें बताओ।

या  फिर  रूँठ  गऐ  हो  हमसे,
मन भी जाओ, मान भी जाओ।
मम्मी हर दिन तुम्हें निहारे,
इस राखी पर आ भी जाओ। 
-आनन्द विश्वास

Thursday 11 June 2015

गरमागरम समोसे खाओ

*गरमागरम समोसे खाओ*
...आनन्द विश्वास
आओ   बाबू,  लाला  आओ,
गरमागरम  समोसे  खाओ।
काजू, किसमिश, मेवे वाला,
धनियाँ मटर पुदीना डाला।
आलू  इसमें  शिमले  वाला,
डाला इसमें  गरम मसाला।
मीठी  चटनी  डली  हुई है,
तीखी  मिर्ची  तली  हुई है।
मस्त  कचौड़ी  काँदे  वाली,
खस्ता  और  मसाले  वाली।
देशी घी  की  आलू टिकिया,
मन भाए तो खाना बिटिया।
छोले    और   भटूरे   खाओ,
बड़ा-पॉव   है  खाते  जाओ।
दही बड़े  खुद  आकर  देखो,
मन भाए  तो  खाकर  देखो।
देखो, इसकी लाइन बड़ी है,
सारी पब्लिक यहीं खड़ी है।
चटनी - पूरी,  पानी - पूरी,
बिन इसके तो चाँट अधूरी।
पेट आपका  जब  भर जाए,
कायम चूरन साथ निभाए।
इडली, ढोसा, पीज़ा, बर्गर,
पैक करा लो खाना घर पर।
*****
...आनन्द विश्वास

सभी चित्र गूगल से साभार